थारुमे सहयोगी भावनाके कमी (थारु भाषा)

विचार

श्याम सि.टी.

समय अइसन चीज हो जौन कि एक कहावत बा समय समय के बात मुरगी मारे लात ई उखान भी ओइसे नाइ बनलबा । समय बलवान बा समय अनुसार हर एक चीजमे परिवर्तन होइत रहत,चाहे उ प्रकृति हो या मनै वा आउर चीज हो । उहे बदलना क्रममे स्वभाविक रुपमे भी हम्मनके समाज,समुदाय,ब्यक्ति हरेक चीजमे परिवर्तन होएना अचम्मके बात नाई हो । जीवनके काल चक्रके संहरी कौन कौन चीज देखेक मिलत आउर कौन कौन चीज भोगेक भी मिलत । समयकेहे हमरे अगोरेली बकिन समय हम्मन कब्बो भी नाई अगोरत । कहेलन समयमे कौनो भी काम न कइलेसे बहुत बडा नोकसान भी झेलेक पड सेकत । समय हो या आउर चीज हो बहुत तेजी से परिर्वन हो रहलबा । समयके साथ साथ हमरे न चलपइलेसे बहुत भी बहुत पाछे पड सेकेक पडसेकी ।

थारु समुदायमे केतना चीज अइसन बा कि जौन कि बहुत बडा अनमोल बा,सोझवा स्वभाव,सीधा साधा भोला भाला रहल एक विश्वासीके पात्र बोकल थारु समुदायमे संस्कृतिसे भरल पुरल बहुत अनमोल धनसे भरल धनी एक समुदाय हो । जेकर बहुत बडा गाथा रहलबा,जे बुझले बा उहे समझपाई कि थारु समुदाय पहिले कहाँ रहन कैसे अइलन कैसे कैसे ई नेपालमे आदिवासीके रुपमे रहीके डेर लगना बाघ,भालु,साँप,गोजर,विच्छी जइसन बहुत भयानक जंगली जन्तु जानवरसे लडते घना जंगलकेहे सवाँरके एक सुन्दर बस्तीके निर्माण कइलन । यतने भर नाई हो बहुत भयानक रोग मलेरिया जइसन जानलेवा बिमारीसे संघर्ष कइके आइल बाटन । केतना सहयोगी आउर सहकार्य करत आइत रहन । हर एक काम सहयोग आउर सहकार्यसे कइके सम्पन्न करत रहन । बकिन समयके गति संहरी धीरे धीरे परिवर्तन होइते होइते आज देखल जाई ते बहुत बडा अन्तर पाइलजाई कि पहिले कौन मेरके रहन आउर अब कौन मेरके अन्तर हो रहलबा । आखिर काकरे अइसन अनेकतामे एकता होएक छोडके अब एकतासे अनेकताओ बिखरत चलजाई बाटन । बहुत बडा घना बस्ती थारु समुदाय आज हेराइत चली जाइत बाटन यहाँ तक कि उच्छिन्न हो जाईत बाटन । कहाँ हेराइत बाटन कौनो लेखा जोखा नाई बा जइसे समय अनुसार चल न पइलेसे डाइनोसर एक विशाल काय होइल जानवर यी धर्तीसे लोप होइगइलन । का थारु समुदाय भी इहे डाइनोसर जइसन धीरे धीरे लोप ते नाई होइजइहीं । एकर बारेम के सोचतबा के विचारतबा का आप सोचलजाइतबा का आउर सब जने सोचत बाटन निश्चित रुपसे नाई सोचत बाटन हाँ कुछ लोग भर मात्र सोचत बाटन आउर बचाएक खर्तिन प्रयास करत बाटन बकिन यमने भी बहुत कम रहल बाटन । यमने भी जे करेक खोजतबा ते उ केहुसे कौनो भी प्रकारके साथ आउर सहयोग नाई पाइत बाटन ।

जे करेक खोजत बा ओन्हरुन गारे तान तानके सइकोकसे तरे खींच लेहत बाटन अब अइसन अवस्थामे अपने का कहलजाई का सोचलजाई मोके नाइ पता हो । बकिन अइसनहीं देखा पडत बा आउर आउर जनके भी कहब इहे देखा पडत बा सुनाई पडतबा । एकर समाधान का बा कब्बो गंभीर होके सोचल गइलबा । कहेलन सत्य बात आउर दवाई एकदम तीत्त लागत कहेलन सत्य बहुत कडवा लागत उहे लेखा होगइलबा । समुदायके हो या समाजके हो या राष्ट्रके हो आगे बढाएक खर्तिन एक आपसमे साथ आउर सहकार्यके बहुते जरुरी रहत । यदि साथ आउर सहकार्यके कमि होइजाई ते सब अपने अपने स्वार्थमे लगहीं ते फिर बात नाई बनी । ओइसे ते एक कहावत बा स्वार्थके संसार बसत हैं खोलके देखो नयन । सब अपने अपने स्वार्थमे बैठजइहीं ते करि के केहु न केहुक ते करेक पडी केहु न केहुकेहे अगुवाई ते करेक पडी । एकठु कहावत बा एकठु अगुवा बिना नौ सय जोलहा बुह्रे मुवन । जब केहु नाई अगुवाई ते इहे होई सब जने बुह्रे मुवे लगहीं आउर तारे वाला के रही । उहेमेरके समुदायमे अइसन संकेत देखा पडत बा जौन कि पहिले रहे ओइसनसे धेर फरक पन हो रहलबा । एके सब जने हाथसे हाथ मिलाके कन्धासे कन्धा मिलाके आगे बढेक बहुत जरुरी रहलबा । बकिन ई सब बात बहुत कमे मनैन केहे असर कइपाई काकरे कि उहे पुराने ढररामे धेर जने लिप्त रहलबाटन । अब कहे के आउर कइके देखाय के आउर के समझाए आउर के रहवा देखाए केहु नाई रहलबा । अइसे अइसे रही ते जे अगुवाई करेवाला भी नाई रहहीं आउर चले देव जे जौन मन तौन करे ।

अइसन होइगइलबा कि जे करत कुछ करत रहे उहो बादमे जाके थकके सब छोड छाडके अपने ढररामे जीयत रहलबाटन कि अब कुछ नाई होई एक दुई जनके कइले से अब नाई होइ ते मई काकरे मरु करु कहिके सब छोड छाड देहेलन । अब ई सब सोचलजाई ते वास्तवमे अइसन नाई होएक चाँही बकिन अइसे हो रहलबा । अब का कइलजाई ई सब आपे सोचलजाई बिचारलजाई आउर आपके कौन चीज बढिया लागतबा ओइसन कइलजाय काकरे कि आपके एक सोचसे कइलसे ई समाज आउर समुदायमे बहुत बडा असर करेवाला बा । समाजमे हरेक मेरके मनइ बाटन केहु बढियाँ बा केउ नाई बढियाँ बा बकिन अच्छाईके रास्ता चले वाला मनैनके बहुत बडा आवश्यकता रहलबा । काकरे कि अइसन मनैनके ई समाजके ई समुदायके ई राष्ट्रके बहुत बडा आवश्यकता रहलबा । यदि अइसन मनै अगर समाजमे समुदायमे होइजइहीं ते ई समाजके आगे बढेसे केहु नाई रोकपाई । समाजमे चिन्ता करेवाला मनै बहुत बाटन लेकिन चिन्तन करेवाला मनै बहुत कम बाटन । जे जहाँ बा उहीं अपनेमे हैरान परेशान रहलबाटन कौनो मेरके रास्ता नाई पाईत बाटन । ई सब नाई होए पएनामे बहुत कारण भी रहलबा । ई सब कारण ई मेरके रहलबा ।

आर्थिक कमि
थारु समुदायमे प्राचीन कालसे खेती पातीमे निर्भर रहलेक नाते थारु समुदायमे आर्थिक के अभावके कारण भी सब जने अपने अपने काम काजमे ब्यस्त रहना आउर कौनो चीजसे मतलब नाई रखना ई भी एक कारण हो । जे गरीब बा ते गरिबीके कारण कौनो मेरके चासो नाई बा । आउर जे धनी बा जेकर पास पैसा धन बा ओके भी कौनो मतलब नाई अपने काम काजसे भर मतलब बा ते करी के बस इहीमे सब परेशान रहलबाटन ।
शिक्षाके कमि
थारु समुदायमे शिक्षाके कमि रहलबा, जनचेतनाके कमि रहलबा एकर कारण भी सब अनभिज्ञ रहल बाटन । हाँ पहिलेक दाँजामे हाल पढाई लिखाईमे ज्यादा ध्यान गइलबा लेकिन अभिन भी जौन किसिमके उच्च शिक्षा तक होएक चाँही उहाँ तक हो नाई पाइतबा । बस १० १२ कक्षा तक भरमे ज्यादा सीमित रहलबाटन । उच्च शिक्षा हासिल नाई कइसेकना भी आर्थिक अभावके कारण देखा पडत बा । उहेक नाते शिक्षामे ज्यादा जोड देहेक जरुरी रहलबा ।
राजनीतिमे कमि 
थारु समुदाय अभिन भी राजनीतिसे बहुत दूर रहल बाटन । राजनीतिमे उच्च ओहदामे अवसर नाई पएना आउर जे पइले बा उ समुदायकेहे ध्यान नाई देहना बस अपनेमे मगन रहना ई कारण भी थारु समुदाय आगे नाई बढसेकना बहुत बडा कारण देखा पडत बा आउर अपने आपमे ब्यस्त रहना केहुसे मतलब नाई कयना देखा पडत बा ।
साँस्कृतिक कारण 
थारु समुदायकेहे आउर आउर संस्कार आउर संस्कृति प्रत्यक्ष वा अप्रत्यक्ष रुपमे बहुत बडा आक्रमण कइले बा । आपन रीतिरिवाज,परम्पराकेहे भुला देहना आउर आउर जाती समुदायके संस्कृतिकेहे आपन संस्कृति मानलेहना आउर उहीमे मगन रहना समुदाय चाहे भाँडमे जाए जइसन सोंच रहनासे समुदाय पाछे पडल देखा मिलतबा । कहेलन कौनो भी जातकेहे लोप करेक होइते उ जातके भाषा,कला आउर संस्कृति लोप कइदेहलजाय उ जात स्वयं लोप होइजइहीं । ई सब बहुत बडा कारण रहलबा थारु समुदाय आगे नाई बढसेकना आउर दुसर जनहन आगे बढेक नाई देहना ।
अइसन अइसन बहुत बहुत कारण रहलबा ई सब कारण आउर लेखमे समेटेक प्रयास कयना हो । अन्तमे इहे कहेक चाहब कि अब हम आप सब जने मिलके आगे बढल जाई तब्बे कुछ होई ।

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