गोचाली सबके मैगर संघारी

स्मृतिम गोचाली भाग २

महेश चौधरी

हम्र गोचालीरुपी ढुंगाह समाजरुपी तलवम एक्ठोर ढुंगा फक्ली तब पानीम एक्ठोर तरंग उत्पन्न ह्वाए गइल । जेहिह चेन रियाक्सन कठ । यह तरंग हो जौन तरंग हमार शोषित पीडित थारू समाजमसे प्रगतिशील साहित्यकार पैदा करल । बेस संस्था जन्माइल । काठमाडौंसे थारु संस्कृति पत्रिका निक्र भिरल । माओवादी जनयुद्धक् लाग लडाकुदस्ता तयार करल । जस्त चैत बैशाखक गर्मीले बन्वम रहल सब पातपतिंगर खरम एक काटी सलाइक डाँरी कोर्क फाक देलसे सारा बन्वम राह लागसक झट्ट ‘गोचाली’ थारू भाषिक आन्दोलनक सशक्त आवाज बन गइल । गोचाली आवाजविहिनक आवाज बन गइल । ‘गोचाली’ शद्वविहिनक शद्व बन गइल । अत्रम धेरसे थारू युवाहुक्र गोचालीक् समर्थनम आगइल । समाजह बदल्ना प्रेरणा हुक्र पाक अभियानम जुट गइल ।

ऊ समय हमन युवाम अन्याय अत्याचारक विरोध कर्ना प्रवृतिके विकास हुइटी रह । हमारम अन्याय अत्याचारक सहन सीमा नाङ्घसेकल रह । हम्र हमार नेपाली समाज, संंस्कृतिक विभेदकारी पर्खालह भत्काक समतामूलक समाज व संस्कृतिक् निर्माण कर चाहतलही । हम्र युवा हुक्र समाजम रहल पुरान अन्धविश्वास, कुसंस्कार, कुप्रथा, सरकारक विभेदकारी नीति, सामन्तवाद व राजतन्त्रके जगह जरसे उखार्क फाक्क नेपालम वैज्ञानिक समाजवाद स्थापना कर्ना अभियानम जुटल रलहि । लेकिन ऊ समय पुरान जगह एक्चोट्टिए भत्काक भत्काई सेक्ना स्थिति नैरह । लेकिन यी बातह मान परठकि ऊ समय पुरान जग भत्कनाक्रम अवश्य शुरुहुइल रह । मनैनम लावा चेतना, लावा विचार, बलिदानिपूर्ण भावना निर्माण हुइती रह । यी समाजह परिवर्तन करक लाग एकदम महत्वपूर्ण व सकारात्मक पक्ष हो । महान लेखक् राहुल सांस्कृत्यायन एक्ठो किताव लिखल बाट “भागो नहि दुनियाको बदल डालो ।” हम्र आपन युद्ध मैदानह छोड्क अमेरिका, बेलायत, क्यानाडा, जापान, अष्ट्रेलिया ओ अन्य देशम पलायन हुइना नै हो । बल्कि कठिनसे कठिन परिश्रम यह कर्क, संघर्ष कर्क, विकट परिस्थितिसे सामना कर्क आपन समाजह बदल्ना हो । यह ठाउँह सुन्दर बनैना हो ।

बेस संस्थक अध्यक्ष डिल्लीबहादुर चौधरीजी महिह धेर फ्यारा कह सेकल बाट, “दादु २०२८ सालम प्रकाशन हुइल गोचाली पहिला अंकम छापल अप्नक् लेखके शीर्षक ‘पिछडल थारू जाति बिग्रलक कारण व सुधर्ना उपाय’ पढक हम्र ब्याकवार्ड सोसाइटी एजुकेशन बेस खोल्ली । शिक्षा जो समाज परिवर्तनक आधार शिला हो । संस्थाह दर्ता कर्ली ।” म्वार लेखक सार रह, पिछडल थारू जाति बिग्रलक प्रमूख कारण अशिक्षा हो । शिक्षा विहिनताके प्रमूख कारण चेतना विहिनता हो । शिक्षा मनैनम चेतना जागृत करठ । पिछडल थारू समाजह सुधर्ना प्रमूख आधार हो साक्षरता । आधारभूत शिक्षा हो । आधारभूत शिक्षा उच्च शिक्षक आधारशीला हो । उच्च शिक्षा हासिल कैक केल थारू समाजह हम्र आग्घ बढाई सेकजाई । आउर विकसित समाजके तुलनाम थारू समाजह लैजाई सेकजाई । हमार समाजह समतामुलक समाजओर डो¥याई सेकजाई कहना म्वार धारणा हो । म्वार लेखक सार रह ।

टुह्र २०२८ सालसे थारू भाषाम गोचाली पत्रिका प्रकाशन कर्ति आइटो, टुह्र बहुत मज्जा काम करटो । पहिला त यहिसे थारू भाषक् विकास हुइटा । दोश्रा दाङ्ओर थारू जातिम बहुत थिचोमिचो, अन्याय अत्याचार, शोषण दोहन बा । जेहिह टुह्र गोचाली पत्रिकामार्फत यी बिषयह उजागर करटो ।

२०३१ सालवर मै त्रिभुवन विश्वविद्यालय, कीर्तिपुर, काठमाडौंम एम.ए. भूगोल बिषय लेक पढतनहु । मै कीर्तिपुर होस्टेलम बैठु । म्हिह एक्ठो मनैया बिहानक कीर्तिपुर होस्टेलम बलाए आइल व महिह कहल अप्नह महान्यायाधिवक्ता रमानन्दप्रसाद सिंहजी बलाइल बाट ।अप्न काल शनिवार बिहान ८.०० बजेओर पुल्चोक, ललितपुरस्थित हुकाहार घरम अवश्य ऐबी । महिह अत्रा बात कहिक ऊ मनैया चल गइल । दोसर दिन मै बिहान ८.०० बजे महान्यायाधिवक्ता रमानन्दप्रसाद सिंहजीके घरम गइनु । हुकार घरके बैठक कोठाम सप्तरिक त्रिभूवन चौधरीजी व उदयपुर जिल्लाक तेजनारायण पन्जीयारजीफे बैठल रलह । महिह रमानन्दप्रसाद सिंहजी कहल, “टुह्र २०२८ सालसे थारू भाषाम गोचाली पत्रिका प्रकाशन कर्ति आइटो, टुह्र बहुत मज्जा काम करटो । पहिला त यहिसे थारू भाषक् विकास हुइटा । दोश्रा दाङ्ओर थारू जातिम बहुत थिचोमिचो, अन्याय अत्याचार, शोषण दोहन बा । जेहिह टुह्र गोचाली पत्रिकामार्फत यी बिषयह उजागर करटो । याकरविरुद्ध लडकलाग टुह्र जनताम चेतना जगाइटो । जनताम चेतना जगैना काम बहुत महान काम हो । टुहन हमार तरफसे धेर–धेर धन्यवाद बाट, बधाई बाट । हम्रफे टुहन्से प्रेरणा पाक काठमाडौंसे थारू भाषाम “थारू संस्कृति” पत्रिका प्रकाशन कर जाइटी । हर शनिवार टुफे हमार कार्यक्रमम आक हमन सहयोग करहो कहल ।”

साहित्यम असिन जादु रहठ जे हज्जारौ हजार मनैन्क मनह, भावनाह सहज रुपसे छु लेहठ । जीत लेहठ । कहाइक अर्थ कत्रा मनैनक लाग गोचाली प्रेरणाक स्रोत बनल । जेकर बयान कैक साध्य नै हो । थारू भाषी हुकहनक् लागकेल नाही नेपाली भाषिन्क लागफेन गोचाली मैगर संघारी बनल । ओह त २०५३ सालम कवि युद्धप्रसाद मिश्र प्रतिष्ठान, काठमाडौं, गोचालीह कवि युद्धप्रसाद मिश्र पुरुस्कारसे सम्मानित करल रह । क्रमशः

(पूर्व राज्यमन्त्री चौधरी गोचाली पत्रिकाके संस्थापक प्रधानसम्पादक रहिंत् ।)

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