सागर कुश्मी
धनगढी, बैशाख २ गते । हजारौं रहर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे, सपनक् सहर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे, यदि भेटैम् कलेसे बुद्धहे जरुर कहम्, शान्तिके खबर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे ।
प्रस्तुत यी गजल के अंश गजलकार सागर कुश्मी के हो । यी गजल सुनके धनगढीक् चकमेली व्यापरीन् डौरटी सुने आइल रहिंट । बिहान ७ बजेक् समय रहे ।
धनगढी चकमेली बजारके नमस्ते कम्प्युटर शिक्षालयके आघे अपन आढा दर्जन गजल, कबिता, ओ मुक्तकसे चकमेली बजार साहित्यमय बनल रहे । नयाँ बर्सके सुरवातसंगे अपन भासा साहित्यके उजागर करक् लाग यी अभियानके सुरवात कैगैल हो ।
ओस्टके युबा गजलकार सुगम चौधरी सक्कु स्रोटा लोगन नयाँ बरसक् शुभकामना डेटि गुलाब फुलक् झुलल् डहिया मजा, रुख्वा बरिख्वक् सिट्टर जुर छँहिया मजा, कटौटिहा लहँगा ओ फुन्नाहा चाल्यामे सजल, ढानीक् सुग्घर सोहावन बहिँया मजा, मना मुक्तक सुनैलाँ बरा चौकस लगैले रहिंट ।
यी श्रृंखलाहे प्रत्येक महिनक् पहिल सनिच्चरके धनगढीक् चकमेली बजारमे कैना निर्णय हुइल बा कलेसे यी पहिल श्रृंखलामे चियापानके व्यवस्थापन हरचाली साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका कैले रहे ।
गजलकार सागर कुश्मी कहलैं बरसों दिनसे लिख्टि आइल रचना सुनैना स्रोटा नैपाके डायरीमे किल सीमित रहे । मने लावा सालके सुरवातसंगे बिहन्नी मोर्निङ वाक कर्टि रहल मनैनहे बलाके अपन इच्छा पूरा कैलुँ । सुरुमे ते कोइ नै आइक् मन करलैं । मने जब गजल के बौछार चलेलागल बब सारा मनैं गजल सुनै आइल रहिंट ।
युबा गजलकार सुगम चौधरी कहलैँ आब गजल सुनाइक् लाग कहुँ जाइक् नैपरि । दुईचार जाने संगे मोर्निङ वाक कैना अपन अपन रचना सुनैना । समय फेन बचत हुइना हो रचना फेन सुनाइ मिल्जैना यी सबसे बह्रिया समय हो ।
डगरिम् नेंगटि नेंगटि गजल सुने आपुगल ठाकुरप्रसाद करियाप्रधान कहलाँ आब यी श्रृंखलाहे नियमित करेपर्ना प्रगतिशिल रचना लिखे पर्ना बटैलैं । उहाँ आघे ठप्लैं अइना दिनमे और ढेर स्रस्टनहे सहभागी कराइ पर्नामे जोरडेटि ओकर लाग अपन व्यक्तिगत ओ नमस्ते कम्प्युटर शिक्षालय नियमित प्रायोजन कैना फेन प्रतिवद्धता जनैलैं ।
अइना दिनमे यी श्रृंखलाहे प्रत्येक महिनक् पहिल सनिच्चरके धनगढीक् चकमेली बजारमे कैना निर्णय हुइल बा कलेसे यी पहिल श्रृंखलामे चियापानके व्यवस्थापन हरचाली साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका कैले रहे ।