पहिले अपने बदलो, तब युग बदली (थारु भाषा)

श्याम सि.टी.

श्याम सि.टी.

अगर समाजमे खराब चीज लागत बा । वर्तमान स्थिति अनुपयुक्त लागत बा, आउर ओके सुधारेक वा बदलेक सचमुच मन बा आउर बदलेक चाहल जाइत बा ते ओके बहुत गम्भीर होके लागेक पडी । लटर पटर लगलेसे ओके परिवर्तन कइलेसे नाई होई । एकरले समाजमे रहल समाजगत विभीषिकाओं आउर ब्यक्तिगत ब्यथाओंके नाम रुप केतना रही तब्बो, सबके अत्यंतिक समाधान एक ही बा कि दृष्टिकोण के दिशाधारा बदलल जाय । एक शब्दमे एकहीं युगक्रान्ति कही सेकल जाई । एकही विना नियोजित कइले आउर कौनो गति नाइबा ।

पहिले अपने बदलो तब युग बदलीके उद्घोषमे निदान आउर उपचारके दुनु ही पक्षके समावेश रहल बा । परिस्थितिकेहे बदलेक लिए ब्यक्तिके परिष्कारके अनिवार्य मानेक जानेक चाही । हर ब्यक्ति के इ तथ्यसे अवगत, सहमत करेक चाही कि इ समयमे लोग मानसके दिशाधारा मे समान परिवर्तनके आवश्यकता रहल बा । एकर बिना उज्ज्वल भविष्यके संरचना ते दूर, बढत गइल बिपत्ति के त्राससे भी आत्मरक्षा सम्भव नाई होइ सेकी ।

पहिले अपने बदलो तब युग बदलीके उद्घोषमे निदान आउर उपचारके दुनु ही पक्षके समावेश रहल बा । परिस्थितिकेहे बदलेक लिए ब्यक्तिके परिष्कारके अनिवार्य मानेक जानेक चाही ।

युग परिवर्तनके लिए ब्यक्तिगत दृष्टिकोण आउर समाजगत प्रवाह प्रचलनके बदलेक बात कइल जाइत बा । एकही समन्वित रुपसे एक शब्दमे कहलजाय ते प्रवृत्तिके परिवर्तन भी कही सेकल जाई । लोग आज जाएन तरह सोचल बाटन, चाहत बाटन, मानत आउर करत बाटनः ओकर उदगम केन्द्र मे अइसे हेरफेरके आवश्यकता रहत । जेमने सडल गललके परित्याग आउर शालीनताके अवलम्बन सम्भव हो सेके । एकर लिए का करेक चाही ? एकही भी संक्षेपमे कही जा सेकलजाई । एकर लिए तीन सिद्धान्त आउर सूत्र के समझना अपनएना भर से चलजाई ।

एक आउर बात का बा कि, एकदम निर्वाहमे संयम सादगी के एतना समाजेश कइलजाइ ताकि औसत नागरिक के स्तर आउर शरीरयात्रा के लिए अनिवार्य कहिजा सेकमिले । दुसरा ऊ हो कि सादगी अपनाएक बाद जउन क्षमता संपदा बचत बा ओके सत्प्रवउत्ति संवद्र्धन के लिए नव निर्माण के लिए समयदान, अंशदान के रुपमे अिधकाधिक उदार उत्साहके साथ समर्पित कइल जाय ।
तीसरा इ हो कि अन्तरंग आउर बहिरंग दुष्प्रवृत्तियों के उखाड फेकेक लिए साहस, शौर्य आउर पराक्रमके साथ संघर्ष कइल जाय । इ तीन सत्प्रवृत्तियां के प्रचलित दुष्प्रवृत्ति के स्थानापन्न बनाएक सेकजाई ते समझेक चाँही कि भविष्य के नवसृजन कइसेकनहाँ राजमार्ग हस्तगत होइ गइल ।

मनै आजकल यतना भुलाइल भटक बाटन उहेक नाते मनैनकेहे भुलाइल भटक देवता भी कहेलन । ई संसारिक मोह मायाके लिप्सामे अइसन फसल बाटन कि मनै अपने आपमे मगन बाटन । का करेक चाँही का नाई करेक चाँही सब भुलाके बस अपनेमे मस्त रहल बाटन । आउर दुसरेक देखासिखी देखके अपने भी उहे धर्रामे लाग जाएलन । आउर उहे लिप्सामे मतवाला होइ जाएलन । ई दुनियाँ ई संसारके बदलेक लिए सबसे पहिले अपने आपके बदलेक पडी, कहेलन ई दुनियाँके सबसे बडी सुधार काहो कि अपने आपके सुधार कयना सबसे बडी सुधार हो उहेक नाते आइलजाय सब जने सबसे पहिले अपने आपके बदलेक प्रयास करी आउर बदलके देखाई एकरे बाद समाज आउर युगके बदलेक प्रयास करी । बरबादीसे बचेक आउर प्रगति पथ पर चलेक आउर सुविधा प्राप्त करेक एक ही उपाय रहलबा उहो संयम यनि कि सादा जीवन उच्च विचार के आदर्शके पालन करेक पडल ।

इंद्रियसंयम, समयसंयम, अर्थसंयम, आउर विचारसंयम के चतुर्विध आत्मानुशासन के अध्यात्म के भाषामे तप साधना कहीजाइत आउर साधनासे सिद्धि के तत्वदर्शन समझइते कहिगइलबा कि संयमी के पास ही श्रेय खरीदनेक लिए पूँजी जुटत । जेकर तृष्णा, महत्वाकांक्षा ही आकाश चूमत, जाउन संकीर्ण स्वार्थके पूर्ति मे ही चित्तवृत्ति के केन्द्रित कइगइल बा । ओके विलास वैभव जुटाएक बाते सोचते जिन्दगी गुजारेक पडी । इहे कारण हो कि महानाता आउर संयम साधना के पर्यायवाची पूरक मान जाइत । औसत नागरिकके स्तर अपनाएक आउर महत्वकांक्षाके उहे परिधिमे सीमित कइ लेहना अइसन निर्धारण रहल बा ।

अब अगले दिनमे ज्यादासे ज्यादा अइसन समाजिक कार्य करेक पडी युवा, युवती, महिला, बुढ पुरनियाँ, समाजसेवी, बुद्धिजिवी, नेता, अभिनेता सब लोगन केहे समावेश कइके ओन्हन समाजिक मूलधारमे नियानके एक अइसन समाजके परिकल्पना करेक पडी ता कि आए वाला पीढि अइसन सोचेक बाध्य होइजाय कि हाँ जरुर कुछ भइल बा ।

समाजमे रहल तमाम मेरक् गलत संस्कार, संस्कृतिकेहे हटाके एक नयाँ आउर मजगर संस्कार, संस्कृति स्थापित करेक लग सब जने मिलके लागेक पडी । एक जने आगे बढलेसे आउर जने भी साथ आउर सहयोग करेक पडी तब्बे उ फिन आगे बढपाई आउर समाजके नयाँ दिशाधारा दइसेकी ।

समाजमे रहल तमाम मेरक् गलत संस्कार, संस्कृतिकेहे हटाके एक नयाँ आउर मजगर संस्कार, संस्कृति स्थापित करेक लग सब जने मिलके लागेक पडी । एक जने आगे बढलेसे आउर जने भी साथ आउर सहयोग करेक पडी तब्बे उ फिन आगे बढपाई आउर समाजके नयाँ दिशाधारा दइसेकी । यहाँ तो का बा कि केहु आगे बढेक खोजी ते ओके तमाम किसिमके जाल झेल कइके ओके पछाडदेहना, गोडा तानके पाछे कइदेहना प्रवृत्ति हावी रहल बा । अइसन सब प्रवृतिके कारण आउर समाजमे आगे बढेवाला अगुवा भी बहुत कम बाटन । खोजले भी नाई मिलना जइसे होइगइलबा, सब अपने अपने आपमे मस्त रहलबाटन । ई समाज का हो कहाँ जाइता बा पता नाई हो । जब तक अइसे रही तब तक कुछ होए वाला भी नाई बा । उहेक नाते अब सोचना बेला आइल बा । अगर सबजने एके गंभीर रुपमे लइके सोचके आगे नाई बढहीं ते बहुत बडा गंभीर रुप लइसेकी । एकर असर अभीन ते नाई देखाइत बा बकिन धीरे धीरे एकर रुप रंग देख सेकल जाई बहुत जल्दीए बहुत बडा संकट भी आ  सेकी । उहेक नाते हम्मन सबके बहुत सचेत आउर सतर्क होएक बहुत जरुरी रहल बा । अपने भर न होके आउर लोगनकेहे भी सचेत आउर सतर्क बनाएक पडी ।

अइसन तेजीसे परिवर्तन होइत रहल समयमे ई समाज आउर समुदायके परिवर्तन करेक खर्तिन उहे मेरके जुझारु समाजसेवी आउर योद्धाके आवश्यकता बा । ताकि कुछ कइसेके ओके केहु न हरासेकी चाहे जेतना हराएक खोजन बकिन ओके नहरा पावन अइसन योद्धा बीर सपूतके आवश्यकता रहल बा । अब अइसे इहे धर्रामे समाज परिवर्तन नाई होइ उहेक नाते कुछ अलग जोडतोडसे काम करके पडी तब्बे कुछ बदलाव आई सेकी ।

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