साथ पैम कलसे

गजल

सागर कुश्मी

मै फेन आघे बर्हम्, साठ पैम कलेसे ।
जरुर कुछ टे करम, हाँठ पैम कलेसे ।

अपन झोंपरीहे, इट्टक् मकान बनैम्,
उँजरा भर बराढेर, गाँठ पैम कलेसे ।

इल्मारी टेबुल डराज, पलंगफे सजैम,
सिस्वा जिन्ना पाँडन, काठ पैम कलेसे ।

घर अंगना बहुट, सोहावन बिलगाइ,
डौना बेबरी गेंडक्, डाँठ पैम कलेसे ।

एकदिन इ संसार फेन, रंगीन बनैम्,
यदि केक्रो खाली, माठ पैम कलेसे ।

कैलाली

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