हजारौं रहर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे ।
सपनक् सहर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे ।
मोर मुटुमे घाउ खोज्ठो काहे टुँ,
मै मुटुमे असर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे ।
यहाँ बीर सहिडन्हे समझके आझ,
लम्मा सफर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे ।
भ्रस्टाचारिन्हे सखाप पारक् लाग,
हाँठम् जहर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे ।
यदि भेटैम कलेसे बुद्धहे जरुर कहम्,
शान्तिक् खबर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे ।
लेखक हरचाली साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिकाके प्रकाशक ओ प्रधान सम्पादक हुइँट ।