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थारु साहित्य प्रवद्र्धनके लाग उँक्वार भर्चुवल थारु साहित्यिक कार्यक्रम शुरु
हमार पहुरा डट कम
काठमाडौं, असोज ११ गते । थारु भासक साहित्य प्रवद्र्धनके लाग उँक्वार भर्चुअल थारु साहित्य वाचन कार्यक्रम कुवाँर १० गतेसे शुरु कैगिल् बा । कोरोना संक्रमणक ब्यालमफे थारुभासि साहित्यकारन थारु साहित्यिक सिर्जनाम सक्रिय बनाइक लाग भर्चुअल अभियान चलैलक आयोजक बतैले बा ।
पैल्हार पैढारक कार्यक्रमम ४ जाने कविहुँक्र आपन...
थारु मानक भाषा बहस भाग ५
थारू बोलि भाषा काजे संकटम ?
जितिया ब्रत या बिध
महा महङ्गा होगिल
त्वहार बटिया, महा महङ्गा होगिल ।
करिया गटिया, महा महङ्गा होगिल ।
आजा–बुदु करैं, काठ कवारके काम
ओहे खटिया, महा महङ्गा होगिल ।
पहिले घर भर्के, छकित्रा भाँरा वर्तन
काँसक टठिया, महा महङ्गा होगिल ।
भोजमे बेल्सना, ठुन्यार टपरी डोना
सख्वक् पतिया, महा महङ्गा होगिल ।
चौंकस चैनार रहे, सबके घर अङना
भोजाही बरटिया, महा महङ्गा होगिल ।
बोली ठोली...
नै बनल मोर देश
थारु कविता
पोर, परार, चिरार
मोर देश बन्ना आश !
मने
बटिया हेरत् हेरत्
पुगे लग्नु आज पचास
तौन फे
नै बनल मोर देश ।।
जब गोमन्ह्या करुँ
पञ्चायतके छाँही !
जब पैला सर्नु
धुँवा–बारुदसे देश रुइल
निर्दलसे बहुदल
व्यवस्था परिवर्तन हुइल
तौन फे
नै बनल मोर देश ।।
मनै मरके
व्यवस्था परिवर्तन कर्ली
पुरानसे लावा लन्ली
आब तो
हुई विकास कली !
सबजे ओहे सोँच्ली
तौन फे
नै बनल मोर देश ।।
राणा,...
हजारौं रहर
हजारौं रहर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे ।
सपनक् सहर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे ।
मोर मुटुमे घाउ खोज्ठो काहे टुँ,
मै मुटुमे असर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे ।
यहाँ बीर सहिडन्हे समझके आझ,
लम्मा सफर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे ।
भ्रस्टाचारिन्हे सखाप पारक् लाग,
हाँठम् जहर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे ।
यदि भेटैम कलेसे बुद्धहे जरुर कहम्,
शान्तिक् खबर...
‘मर्लो पर वदला !’ (थारु कथा)
थारु समुदायमे माघके महत्व (पश्चिमा थारु भाषा)
नेपाल बहुजातीय, बहुधार्मिक, बहुसांस्कृतिक र बहुभाषिक मुलुक हो । ईह्याँ मेह्रिक मेह्रिक जातजातिन्हक् आपन् आपन् मौलिक परम्परा, भाषा, कला र संस्कृति अनुसार चाडपर्वहरु रहल बा । ओस्टके आपनआपन् मेह्रिक लवाई–खवाई ओ चाल–चलन फे । असकि विभिन्न जातजाति, कला ओ संस्कृतिले हमन सक्कुजहन् नेपाली कैक चिन्हाइल् बा ।
एक औरजहन्के कला, संस्कृतिहन...