थारु भाषामे त थ द ध वर्णके प्रयोग

थारु भाषामे त थ द ध वर्णके प्रयोग
कथ्य थारु भाषाके लेख्य रुपमे विकास करेलगिन स्थानिय, क्षेत्रिय स्तरसे लागि परल छै । जतन्या कथ्य या बोलचालमे सहज हे हलक लागछै वहिने लेख्य रुपमे उतारे लगिन कठिन काम छेकै । थारु भाषा लेख्य रुप बनावे लगिन आपन आपन तरिकासे लेखन सैली तयार करिके आगु बढी रहलैस । पछिम तराइमे...

थारु साहित्य प्रवद्र्धनके लाग उँक्वार भर्चुवल थारु साहित्यिक कार्यक्रम शुरु

थारु साहित्य प्रवद्र्धनके लाग उँक्वार भर्चुवल थारु साहित्यिक कार्यक्रम शुरु
हमार पहुरा डट कम काठमाडौं, असोज ११ गते । थारु भासक साहित्य प्रवद्र्धनके लाग उँक्वार भर्चुअल थारु साहित्य वाचन कार्यक्रम कुवाँर १० गतेसे शुरु कैगिल् बा । कोरोना संक्रमणक ब्यालमफे थारुभासि साहित्यकारन थारु साहित्यिक सिर्जनाम सक्रिय बनाइक लाग भर्चुअल अभियान चलैलक आयोजक बतैले बा । पैल्हार पैढारक कार्यक्रमम ४ जाने कविहुँक्र आपन...

थारु मानक भाषा बहस भाग ५

थारु मानक भाषा बहस भाग ५
की रहै ? थारु भाषामे बड्का छुट रहै । भाषाके नाममे जकरा ज्याह है ऊ वह्या करै । ककरो कोनो किसिमके प्रतिबन्ध नै रहै । जकरा ज्याह मन हैछेलै ऊ वह्या बाजै या लिखै । जै कारण क्षेत्रे अनुसारके अनेक किसिमके भाषा भ्यागेल रहै या अखुन्वो छै । मगर यतेक विविधताके...

थारू बोलि भाषा काजे संकटम ?

थारू बोलि भाषा काजे संकटम ?
“पाह्रा पण्डित कौने काम, मर्बो कोड्रा धानेधान”, अघट्यक पुर्खनक कहकुट अब्ब सुन्बो त महाअन्ख्वाहर लागट । साइड ओहमार हुइ, हमार पुर्खन एक दिनफे पाठशालक् मुह नैडेख्ल । पह्र नैजैटिकि गबुझ रठ कना बाटम मै विश्वास नैकर्ठु । पह्रना कलक गुन सिख्ना त हो । चहा पाठशालम जाक सिखो चाह गाँउघरिक...

जितिया ब्रत या बिध

जितिया ब्रत या बिध
यी सैबकोई जानै छै, कि थारु यै भूमिमे जलमल छै । या अनादिकालसे रैह रहलछै । यै समुदायके आपन अलगै किसिमके संस्कृति या पहचान छै । बहौत संस्कृति मेसे जितिया पावैन एक चियै । यी पाबैन थारु जनिजाइत सब आपन धिया पुताके निक जिवन, उन्नति, पराक्रम या वकर सफलताके लेल...

महा महङ्गा होगिल

महा महङ्गा होगिल
त्वहार बटिया, महा महङ्गा होगिल । करिया गटिया, महा महङ्गा होगिल । आजा–बुदु करैं, काठ कवारके काम ओहे खटिया, महा महङ्गा होगिल । पहिले घर भर्के, छकित्रा भाँरा वर्तन काँसक टठिया, महा महङ्गा होगिल । भोजमे बेल्सना, ठुन्यार टपरी डोना सख्वक् पतिया, महा महङ्गा होगिल । चौंकस चैनार रहे, सबके घर अङना भोजाही बरटिया, महा महङ्गा होगिल । बोली ठोली...

नै बनल मोर देश

नै बनल मोर देश
थारु कविता पोर, परार, चिरार मोर देश बन्ना आश ! मने बटिया हेरत् हेरत् पुगे लग्नु आज पचास तौन फे नै बनल मोर देश ।। जब गोमन्ह्या करुँ पञ्चायतके छाँही ! जब पैला सर्नु धुँवा–बारुदसे देश रुइल निर्दलसे बहुदल व्यवस्था परिवर्तन हुइल तौन फे नै बनल मोर देश ।। मनै मरके व्यवस्था परिवर्तन कर्ली पुरानसे लावा लन्ली आब तो हुई विकास कली ! सबजे ओहे सोँच्ली तौन फे नै बनल मोर देश ।। राणा,...

हजारौं रहर

हजारौं रहर
हजारौं रहर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे । सपनक् सहर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे । मोर मुटुमे घाउ खोज्ठो काहे टुँ, मै मुटुमे असर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे । यहाँ बीर सहिडन्हे समझके आझ, लम्मा सफर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे । भ्रस्टाचारिन्हे सखाप पारक् लाग, हाँठम् जहर बोक्के नेंगटुँ इ देशमे । यदि भेटैम कलेसे बुद्धहे जरुर कहम्, शान्तिक् खबर...

‘मर्लो पर वदला !’ (थारु कथा)

‘मर्लो पर वदला !’ (थारु कथा)
अकबरे ठकुरी हुइस् ओकर नाउँ । ऐलानपुर थारु गाउँक् एक्थो लौण्डी आपन गोहीक पाछे गतियातिर नुक्ती कहली । हुँकार गोही सेन्दुरिया झसक्के पाछे पइला सर्ली । कपारीम ढकियाभर वयर टुरके लानत देखके का लानतै यी लर्का ? सोंच्ती अकबरे ओइनके लग्गे गइल । भेंरी चह्राई गैलबेला गाउँक लौण्डिन वयर टुरके...

थारु समुदायमे माघके महत्व (पश्चिमा थारु भाषा)

थारु समुदायमे माघके महत्व (पश्चिमा थारु भाषा)
नेपाल बहुजातीय, बहुधार्मिक, बहुसांस्कृतिक र बहुभाषिक मुलुक हो । ईह्याँ मेह्रिक मेह्रिक जातजातिन्हक् आपन् आपन् मौलिक परम्परा, भाषा, कला र संस्कृति अनुसार चाडपर्वहरु रहल बा । ओस्टके आपनआपन् मेह्रिक लवाई–खवाई ओ चाल–चलन फे । असकि विभिन्न जातजाति, कला ओ संस्कृतिले हमन सक्कुजहन् नेपाली कैक चिन्हाइल् बा । एक औरजहन्के कला, संस्कृतिहन...