प्रणव आकाशको पश्चिमा थारु भाषाको नाटक ‘करोट’ः एक समिक्षा

प्रणव आकाशको पश्चिमा थारु भाषाको नाटक ‘करोट’ः एक समिक्षा
ड्रामा अर्थात नाटक धेरै पुरानो विधा मध्ये एक हो । उहिले हाम्रा पूर्खाहरुले गाउँघरमा मनोरन्जन र केही सचेतनाको सन्देश प्रवाह गर्न गाउँघरमा नाटक मञ्चन गर्ने गर्थे । मिडियाको विकास भइनसकेको अवस्थामा यस्ता नाटकहरुले सूचना प्रवाहको काम गर्थे । मानिसलाई सचेत गराउने र केही उद्देश्यमूलक सञ्चार गर्ने काम यिनै नाटकहरुले गर्थे...

हमार थारुन्के गन्तव्य !

हमार थारुन्के गन्तव्य !
खै कहाँसे शुरु करुँ ? कहाँ अन्त्य ?? नै देख्थुँ कहुँ, हमार थारुन्के गन्तव्य । बैठक, ख्याल, कचहरीमे सुन्थुँ मन्तव्य, कुही नैदेख्थुँ, पूरा करत् आपन कर्तव्य ।।१।। कमजोर बा प्रतिनिधित्व, राजनीति, प्रशासन कहिया हुई हमार, नेतृत्वमे देशके शासन ? एकतासे काम करी, नै हो जरुरी अब भाषन, मेहनत कर्वी तब ना, घर भर्के हुई राशन ।।२।। पढी लिखी...

परिवार केहे टूटे न देहलजाय (थारु भाषा)

परिवार केहे टूटे न देहलजाय (थारु भाषा)
परिवार ओके कहेलन जहाँ आपसी प्रेम भाव हो, अपनत्व हो, एक दूसरेके प्रति सम्मान हो तथा एक दूसरेके विकासके भाव हो । परिवाके सदस्य आपसमे एकदूसरेसे जुडल रहन, उनके बीच रिश्ताके के कौनो न कौनो डोर रहत जउन ओनहन आपसमे बन्हले रहत । इ रिस्ताके केन्द्र मे रहत । भावना...

थारु दशैंः सेतो टीका र सखिया नाच

थारु दशैंः सेतो टीका र सखिया नाच
सेतो रङ्गलाई प्राकृतिक रङ भनिन्छ । पृथ्वीमा कुनै कृतिम रङको उत्पादन नहुँदा सेतो रङकै बर्चस्व थियो । पछि मानवले विभिन्न खोजअनुसन्धान गरेर थरिथरिका कृत्रिम चिजवस्तुको उत्पदान गरे । अहिले प्राकृतिक सेतो रङ्गभन्दा त्यही कृत्रिम अन्य रङले रङ्गाइएका झिलिमिली चिजवस्तुको बजार छ । मान्छेको मन र रोजाई पनि बहुरङ्गी भएको छ...

हिरगर बगालके दशिया ओ डेवारीक् शुभकामना आदान प्रदान निम्जल

हिरगर बगालके दशिया ओ डेवारीक् शुभकामना आदान प्रदान निम्जल
दुर्जनकुमार चौधरी धनगढी, कुँवार २७ गते । दशिया ओ डेवारीके अवसरमे हिरगर साहित्यिक बगाल एकापसमे शुभकामना आदानप्रदान कार्यक्रम कर्ले बा । हिरगरके नियमित साहित्यिक श्रृङखलाके ५२ औं भाग अन्तर्गत दसिया ओ डेवारीके शुभकामना आदान प्रदान कैगिल हो । हिरगर साहित्यिक बगालके अध्यक्ष तथा यूनियन लाइफ इन्स्योरेन्स कम्पनी धनगढीके शाखा अधिकृत हिरालाल सत्गौंवा दसिया...

थारु समुदायमे अस्टीम्की पर्वक् धार्मिक ओ सामाजिक महत्व

थारु समुदायमे अस्टीम्की पर्वक् धार्मिक ओ सामाजिक महत्व
थारु समुदायके जन्नि मनैन्हन (महिला) के बराभारि पर्व हो, अस्टिम्की । अस्टिम्की पर्व सक्कुजनके घर घरम आपुगल बा । किउज अस्टिम्की यिह भदौ १७ गते मनाइ त किउज १८ गते । त, अस्टिम्की का हो ? याकर महत्व का बाटिस, कसिख मनैठ अस्टिम्की कना विषयम थारु पत्रकार संघ बाँके शाखाके...

पहिले अपने बदलो, तब युग बदली (थारु भाषा)

पहिले अपने बदलो, तब युग बदली (थारु भाषा)
अगर समाजमे खराब चीज लागत बा । वर्तमान स्थिति अनुपयुक्त लागत बा, आउर ओके सुधारेक वा बदलेक सचमुच मन बा आउर बदलेक चाहल जाइत बा ते ओके बहुत गम्भीर होके लागेक पडी । लटर पटर लगलेसे ओके परिवर्तन कइलेसे नाई होई । एकरले समाजमे रहल समाजगत विभीषिकाओं आउर ब्यक्तिगत ब्यथाओंके...

हाथ दे, साथ दे मुक्ति आन्दोलन (थारु भाषा)

हाथ दे, साथ दे मुक्ति आन्दोलन (थारु भाषा)
प्रारम्भ युद्धमें हारल सिपाहीके तरह थारुसब मुझ्र्याल छै । यी स्वभाविक देखल जाइछै कि चुनावमें प्रतिस्पर्धा कैरके येल प्रतिनिधिसब सोहो बिना संकोच चाकरीके लेल दौरवरहा कैर रहल्छै । आब त येहेन लागैछै कि सबसे निरीह आ मुँह दुबरा थारु जनप्रतिनिधिसब छै कारण संगे कैलाली क्षेत्र नं. १ से निर्वाचित जनप्रतिनिधी सदरखोर...

थारुमे सहयोगी भावनाके कमी (थारु भाषा)

थारुमे सहयोगी भावनाके कमी (थारु भाषा)
समय अइसन चीज हो जौन कि एक कहावत बा समय समय के बात मुरगी मारे लात ई उखान भी ओइसे नाइ बनलबा । समय बलवान बा समय अनुसार हर एक चीजमे परिवर्तन होइत रहत,चाहे उ प्रकृति हो या मनै वा आउर चीज हो । उहे बदलना क्रममे स्वभाविक रुपमे भी...

संघियताके चूनौति ओ अवसर (पश्चिमा थारुभाषा)

संघियताके चूनौति ओ अवसर (पश्चिमा थारुभाषा)
नेपालके लौव संविधान २०७२ बनलपाछ मुलुक लौव दिशाम गैइल बा । संविधानके भावना, मर्म अनुरुप संघियताफे कार्यान्वयनम बा । उह संविधानह कार्यान्वयन कर्ना क्रमम हमार देशह सात प्रदेशम बाट्गैल बा । तीन चरणके निर्वाचन कर्टि स्थानिय, प्रदेश, संघ ओ राष्ट्रिय सभाके निर्वाचन हो स्याकल अवस्था बा । जनतनके मत बाम...