थारूपृष्ठ
थारु साहित्यिक भेला भाग दुईहे खिटकोर बेर (थारु भाषा)
थारु चाडपर्वके तीथिमिति (थारु भाषा)
लम्मा समयसे समाजमे चलरहल चालचलन, रीतिथिति, बोली, भाषा, लवाई, खवाई, चाडपर्व, भोजबिबाह, उठबसके तौरतरीका, नाचगान आदिहे संस्कृति कहठैं । समाजसे लम्मा समयसे अपनागिल तौरतरीकाके परिणाम नै संस्कृतिके बर्तमान रुप हो । अर्थात संस्कृति मनहे शान्ति देहेक लग ब्यक्ति ओ समाजसे अपनागिल एक पद्धति हो । पुर्खनके बिरासत हो, सहिदान हो,...
थारु साहित्यम शब्द बेल्साई (थारु भाषा)
थारुके फुटले करम
राणाा शासन, पंचायती शासन, पर्जातन्त्र अौर गणतन्त्र
कोनो व्यवस्था एलै तैयो ने थारूके सपरलै अर्थतन्त्र
सब व्यवस्थामे जीन्दावाद थारूके धरम
अखनतक सबके पीछलगुवा थारूके फुटले करम ।
वजीया पहरीया मीलके कैलके खाली थारूके भखारी
थारू समाजके वचावुची अखनो खाइछै अदहे थारी
खुन पसीना एक कैरके थारू करै छै काम
दवाइ वीना सींस ठारहे रहै छै थारू के...
चुत्रम भेग्वा नैहो, कपारिम मखमलीक् टोपीः बालिका (थारुभाषा)
लेखन क्षेत्रम बिशेसकैक थारु महिलनक पहाँटम बालिका चौधरी कैक चिन्हल् नाऊँ हो । सकरात्मक बिचारसे युवा उत्प्रेरणा व विकाससिल् चिन्तन् क्षेत्रम उहाँक कलम चल्ठिन् । युवाहुँकन्हँक प्रेरणाक डगर हुइटि कलसेफे फरक निपरी । साहित्यिक अभियानमे फे ओत्रै सक्रिय बाती । प्रस्तुत बा उहाँसे करल बातचितके अंश
लेखनयात्रा कैह्यासे शुरु कर्ली ?
खासकैक...
हमारथिन स्रोत बा, वैज्ञानिक प्रयोग करे नै स्याकथुई (थारुभाषा)
मोहनलाल चौधरी, राजापुर नगरपालिका ७, बदालपुर, बर्दियाक स्थायी निबासी हुइट । हाल उहाँ ठाकुरद्धाराम थारु होम रिसोर्ट सञ्चालनमे लन्ल बाट । थारु समुदायक शिक्षा, आर्थिक, सामाजिक ओ राजनीतिक परिवर्तन, विकासक लाग हुँकार बिशेस झुकाब बाटिन् ।
स्टेप्स का हो ?
यि अंग्रेजीम स्टेप्स हो । याकर पुरा रुप कलक सस्टेनेबल फर एजुकेशन...
तिल्किपट्टीसे उँक्वार भ्याँट (थारुभाषा)
बाज्या कहँट, एकाउन्न घर गर्वा पाही, कुक्कुर मार आवाजाही। महा हडबडावनम असौँ माघठे बुर्हान घुम्गिलस। जैस मोटर दाङसे छोट्की बुर्हान (बर्दिया) लागल, काठी बोक्लक लर्ह्या ,डल्लप, भर्वा बोक्लक साइकिल, गन्झिर बन्वा ओ हेर्क आँख नि डट्कर्ना काइल डमर्वा बुह्रानिक हावापानी खवाइलागल। जुरार ओ सित्तर, ल्वाभलग्टिक बुह्रान डेख्क मन खुर्चिल खुर्चिल करभिरल।...
खै, कहाँ बा भ्यालेन्टाइन !? (थारुभाषा)
बजारमे हल्ला बा,
कति हुँ
आइल बा भ्यालेन्टाइन !
एहोर ओहोर हेर्नु
कोनुवा कप्चा निहर्नु
नै लागल नजर कहुँ
मनहे पुछ्नु
खै, कहाँ बा भ्यालेन्टाइन !?
बजार चोक
चिया पसल, सडक गल्ली
चारुओर बात सुन्थुँ
पत्रपत्रिका, अनुहार पुस्तिका
सक्कुओर
ओक्रे चर्चा सुन्थुँ
मने काजे,
मै नै चिहन्थुँ
खै, कहाँ बा भ्यालेन्टाइन !?
लाल गुलाव हुँ
प्रणयके कार्ड कति,
चकलेट, घडी बम्पर उपहार
खै का का हो का का ?
सबजे ओक्रे...
बच्पनक संघारी
हम्र बच्पनक संघारी
लंगौटिया यार
संग बहर्लक, कुड्लक
संग खेल्लक, खैलक
मै व चक्रपाणी
हम्र डुनु बच्पनक गोचाली ।
सक्कह्र्यं उठ्टी किकौह्राखाई
कबु हमार कबु वाकर बारिक आलु चोरी
कबु ब्याकर बारिक पिप्पर चोरी
कबु केक्रो खोंघ्या झारी
वड्राझर्ना, मुस्वाकोर्ना
डुनुजे पट्कीभिर्वा खेल्ना
हमार डिनचर्या रह
हमार डुनु लंगौटिया यारक कहानी ।
स्कुलसे भाग्क
मट्राहा खेट्वम चहर्लक याद बा
बुह्र्याकुल्वम संग डुब्की मर्लक याद बा
एक अउरक...












